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ॐ भाषा एक सामान्य प्रयोजन प्रोग्रामिंग भाषा ह। यह केवल वेबसाइट, एआई, अप्प्स या सर्वर बनाने के लिए सीमित नहीं है बल्कि इसका इस्तेमाल किसी भी प्रकार के सॉफ्टवेयर बनाने के लिए किया जा सकता है। इसे इस तरह बनाया गया है की आप इसका इस्तेमाल करके बेहद ही सरलता से प्रोग्रामिंग सिख सकते है। ॐ भाषा को आप अपनी मातृभाषा में उपयोग केर सकते है, जैसे की हिंदी, संस्कृत, मराठी, बंगाली, तेलुगु, मलयालम इत्यादि। इसे सीखना बेहद ही आसान है, ये बहुत ही तेज चलती है और इसमें आज की लेटेस्ट प्रोग्रामिंग भाषाओ के सभी आधुनिक विशेषताएं है। इस तरह ॐ भाषा दुनिया की सबसे विशेष प्रोग्रामिंग भाषा में गिनी जा सकती है।

ॐ भाषा Go, C, C++ की तरह एक स्थैतिकी प्रकार(statically typed) प्रोग्रम्मिंग भाषा है जो इसे एक प्रकार सुरक्षित प्रोग्रामिंग भाषा बनती है। इसे C प्रोग्रामिंग भाषा का एक बेहतर और सरल स्वरुप की तरह देखा जा सकता है क्युकी यह न केवल आपको C प्रोग्रामिंग भाषा की शक्ति और गति देती है बक्ली यह प्रोग्रामिंग करने और सिखने की प्रक्रिया को सरल भी करती है और यह आपको कोड लिखने का सही तरीका भी सिखाती है।

इंस्टॉल करने का तरीका

ॐ भाषा के दो प्रकार है, एक जिसे आप अपने कंप्यूटर में चला सकते है और दूसरा एक अप्प है जिसे आप अपने समर्टफोने पैर चला सकते है।

ॐ भाषा डाउनलोड करने के लिए सबसे पहले अप्प होम पेज पैर जाये, अप्प को वह पैर दो डाउनलोड बटन दिखेंगे, उसमे से सही प्रकार डाउनलोड केर लें।

इस्तेमाल करने का तरीका

एंड्रॉइड के लिए, आपको दो टैब दिखाई देंगे, एक कोड लिखने के लिए और दूसरा आउटपुट के लिए। बस इतना ही है। अपना कोड लिखें और आउटपुट स्क्रीन में आउटपुट देखने के लिए रन बटन दबाएं।

पीसी के लिए, आपको टर्मिनल खोलना होगा और ॐ को चलाना होगा। विंडोज़ के लिए आपको फोंट के साथ कुछ समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए इसके बजाय किसी अन्य टर्मिनल का उपयोग करें।

अपने टेक्स्ट एडिटर पर “.om” एक्सटेंशन के साथ एक फाइल बनाएं और अपना कोड लिखें और फाइल को सेव करें।

फिर, अपना टर्मिनल खोलें और निम्न कोड टाइप करें

./omlang -b <your language> -f <your file path>

फिर प्रोग्राम चलाने के लिए एंटर दबाएं।


ॐ भाषा में दत्तांश(data) के प्रकार

परण // 32बिट पूर्णांक, -2,147,483,648 - 2,147,483,647
प16 // 16बिट पूर्णांक, -32,768 - 32,767
प64 // 64बिट पूर्णांक 
प8 // 8बिट पूर्णांक, -128 - 127
च32 // 32बिट चल बिन्दु संख्या
च64 // 64बिट चल बिन्दु संख्या
अक्षरल // अक्षरावलि
अ16 // 16बिट अचिन्ह पूर्णांक, 0 - 65,535
अ32 // 32बिट अचिन्ह पूर्णांक, 0 - 4,294,967,295
अ64 // 64बिट अचिन्ह पूर्णांक
अषटक // 8 बिट का एक समूह
बूल // सत्य, असत्य
व्यूह // [1,2,3,4]
मनच // मानचित्र, {'एक': 1, 'दो': 2}

चर

ॐ भाषा में चर एक नाम है जिसका उपयोग कोई भी दत्तांश प्रकार की मान को संग्रहीत करने के लिए करते हैं। चर को घोषित करने के लिए ‘:=’ चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। चर का नाम घोषित करते समय शब्दों के बीच में रिक्त स्थान की जगह ‘_’ चिन्ह का किया जाता है अन्यथा नाम वैध नहीं होगा।

दो_सौ := 200 
नाम := 'मयंक'

चर वैसे तोह नाम से ‘चर’ है परन्तु इसका मान पहले से ही अपरिवर्तनीय होता है। एक चर को परिवर्तनशील बनाने के लिए ‘परव’ संकेतशब्द के उपयोग चर तो घोषित करते समय करे। चर के मान को नियुक्त अथवा बदलने हेतु ‘=’ चिन्ह का उपयोग करे।

परव नाम := 'मयंक' 
नाम = 'मयंक कुमार'

चर को एक कोड के खंड में ही घोषित किया जा सकता है। चर अपने खंड के दायरे में ही सिमित रहता है और इसका उपयोग खंड के बाहर नहीं किया जा सकता।

अचर

ॐ भाषा में अचर भी एक नाम है जिसका उपयोग कोई भी दत्तांश प्रकार की मान को संग्रहीत करने के लिए जाता हैं। अचर को खंड के बहार घोषित किया जाता है और इसका उपयोग किसी भी और कितने भी खंड के अंदर किया जा सकता है। अचर के नाम से ही पता चलता है की इसका मान घोषित करने के बाद इसका मान हमेशा के लिए अचर रहता है। अचर को घोषित करने के लिए ‘अचर’ संकेतशब्द का उपयोग करके दो कोष्ठक के अंदर सरे अचरो के नामो के साथ उनके मान को ‘=’ चिन्ह से नियुक्त करें।

अचर ( 
	पाई = 3.14 
	चाँद_की_दुरी = 384472 
)

संरचना

संरचना एक समग्र दत्तांश प्रकार है जो आपको विभिन्न दत्तांश प्रकारों वाले चरों के समूह या सूची को शामिल करने देता है। संरचना को घोषित करने के लिए ‘रचन’ संकेतशब्द के बाद उसके नाम को लिखा जाता है। संरचना के नाम के आगे एक ‘।’ लगा अनिवार्य है अन्यथा संरचना वैध नहीं होगा। नाम के बाद दो धनुकोष्ठक के अंदर सारे चरो के नाम उसके साथ उसका प्रकार परिभाषित किया जाता है । इसके चरों का उपयोग करने के लिए संरचना के नाम उसके बाद एक ” चिन्ह उसके बाद चर का नाम लिखा जाता है।

रचन जीव। {
	पैर परण 
	हाथ परण 
	नाम अक्षरल 
}

संरचना के अंदर भी सारे चर अपरिवर्तनीय होते है, उन्हें परिवर्तनीय बनाने के लिए ‘परव’ संकेतशब्द के उपयोग किया जाता है। संरचना के चार अपरिवर्तनीय होने के साथ साथ असार्वजनिक भी होते है जिसका अर्थ यह है की इनकी पहुँच संरचना के अवयव तक ही सीमित है। इन्हे सार्वजनिक बनाने के लिए ‘सरवा’ संकेतशब्द का उपयोग किता जाता है। यह विशेषता अभी उपलब्ध नहीं है , इसका कार्य अभी प्रगति में है।

रचन जीव। { 
परव: 
	पैर परण 
	हाथ परण 
सरव: 
	नाम अक्षरल 
परव सरव: 
	रंग अक्षरल 
}

अंतराफलक

अंतराफलक एक ऐसा प्रकार है जिसमे दत्तांश प्रकार या फलन के संक्षेप गुण परिभाषित किये जाते है। कोई भी दत्तांश प्रकार या संरचना इन गुणो को परिभाषित या शामिल करते है तब ऐसा प्रकार स्वयं ही अंतराफलक के परिभाषित प्रकार का बन जाता है। अंतराफलक को परिभाषित करने के लिए ‘अतरफल’ संकेतशब्द का उपयोग किया जाता है उसके बाद इसका नाम लिखा जाता है और संरचना की तरह इसके नाम के बाद ‘।’ का उपोग अनिवार्य है। इसके तत्वो को दो धनुकोष्ठक के अंदर घोषित किया जाता है।

अतरफल बहुभुज। { 
	भुजा परण 
	क्षेत्रफल() परण 
}

गणना

गणना एक प्रकार है जिसमे नामित तत्व की सूचि होती है जिनका कोई मान या दत्तांश प्रकार नहीं होता। गणना को परिभाषित करने के लिए ‘गणन’ संकेतशब्द का उपयोग किया जाता है उसके बाद इसका नाम लिखा जाता है और संरचना की तरह इसके नाम के बाद ‘।’ का उपोग अनिवार्य है। इसके तत्वो को दो धनुकोष्ठक के अंदर घोषित किया जाता है।

गणन रंग। { 
	लाल 
	कला 
	पीला 
	नीला 
	सफ़ेद 
}

योग

योग एक प्रकार है जो विभिन पूर्व परिभाषित प्रकार के योग से निर्मित होता है। योग प्रकार को घोषित करने के लिए ‘प्रकार’ संकेतशब्द का उपयोग किया जाता है उसके बाद इसका नाम लिखा जाता है और संरचना की तरह इसके नाम के बाद ‘।’ का उपोग अनिवार्य है। नाम के बाद ‘=’ के चिन्ह उपयोग करके सरे प्रकारो के नाम को ‘|’ चिन्ह का प्रयोग करके अलग अलग लिखें।

प्रकार वाहन। = कार। | बाइक। | ट्रक। | स्कूटर। | विमान। | रेलगाड़ी।

उपनाम प्रकार

इस प्रकार का उपयोग पूर्व परिभाषित प्रकार को उपनाम या अलग नाम देने के लिए किया जाता है।

प्रकार नाम। = अक्षरल

फलन

फलन में निर्देशों का एक संग्रहण होता है जो कंप्यूटर को बताता या निर्देश देता है कि क्या करना है और इन निर्देशों को कई बार लिखे बिना बार-बार उपयोग किया जा सकता है। फलन कुछ मान/चर स्वीकार कर सकते हैं जो इसके अंदर जाते हैं जिनका उपयोग निर्देशों में अनेक प्रकार से किया जाता है और एक फलन आवश्यकतानुसार एक या एकाधिक मान वापस कर सकता है।

फलन को परिभाषित करने के लिए ‘फलन’ संकेतशब्द का उपयोग किया जाता है उसके बाद इसका नाम लिखा जाता है। नाम के बाद दो कोष्ठक ‘()’ के अंदर एक या एकाधिक मापदंडों का नाम उनसके पारकर के साथ उन्हें अल्पविराम ‘,’ का उपयोग करके अलग अलग लिखा जाता है। फलन के प्रतिफल को भी मापदंडों के बाद कोष्ठक ‘()’ के अंदर मापदंडों की तरह लिखा जाता है और यदि केवल एक ही प्रतिफल है तोह कोष्ठक लिखना आवशयक नहीं है। फिर फलन के सरे निर्देशों को दो धनुकोष्ठक ‘{}’ के उपयोग करके उस खंड के अंदर लिखा जाता है और इस प्रकार से एक फलन परिभाषित किया जाता है।

फलन जोड़ ( क परण, ख परण ) परण { 
	नतीजा := क + ख 
	वापस नतीजा 
}

जोड़( 5, 10)

एक फलन का उपयोग दो चरणों में किया जाता है। सबसे पहले एक फलन को परिभाषित किया जाता है की वह कितने और कोनसे मापदंडों और प्रतिफल का प्रयोग करेगा, उसके खंड के अंदर कितने और कैसे निर्देश होंगे इत्यादि। फलन को परिभाषित करने के बाद इसका उपयोग कही भी और कितने बार भी किया जा सकता है। एक फलन को चलाने के लिए उसका नाम लिखा जाता है और उसके बाद कोष्ठक ‘()’ के अंदर मापदंडों का मान लिखा जाता है परन्तु मापदंडों का क्रम तथा उनका प्रकार फलन की परिभाषा से मिलना अनिवार्य है।

प्रणाली

प्रणाली फलन के समान है जिसमें निर्देशों का एक संग्रहण होता है जो कंप्यूटर को बताता या निर्देश देता है कि क्या करना है और इन निर्देशों को कई बार लिखे बिना बार-बार उपयोग किया जा सकता है। प्रणाली को परिभाषित भी फलन के समान किया जाता है। परन्तु प्रणाली में सबसे बड़ा अंतर यह है की प्रणाली एक संरचना के जुड़ी होती है। प्रणाली का प्रयोग एक संरचना के दत्तांश संबंधित कार्यों के लिए किया जाता है।

प्रणाली को फलन के समान परिभाषित किया जाता है केवल उसके नाम के पहले दो कोष्ठक ‘()’ के अंदर जिस संरचना के लिए यह प्रणाली लिखी जा रही है उसका एक चर और उस संरचना का नाम लिखा जाता है। प्रणाली के अंदर एक चर का उपयोग उस संरचना के तत्वों को उपयोग करने के लिए किया जाता है। प्रणाली को केवल उससे जुड़ी हुआ संरचना ही चला सकती है। इसे समझने के लिए नीचे दिए गए उदाहरण पैर ध्यान दें।

रचन आयत। { 
	लंबाई परण 
	चौड़ाई परण
}

फलन (अ आयत।) क्षेत्रफल() परण { 
	नतीजा := अ.लंबाई * अ.चौड़ाई 
	वापस नतीजा 
}

अय := आयत।{ लंबाई: 20, चौड़ाई:50 } 

अय.क्षेत्रफल()

यदि

यदि एक प्रकार का निर्देश है जो केवल तभी चलता है जब दी गई शर्त सत्य हो। यदि में भी फलन के समान निर्देशों का एक खंड होता है लेकिन इसके खंड के निर्देश शर्त सत्य होने पर तुरंत चलते है। यदि से जुड़े या यदि खंड भी होते है जिनकी खुद की शर्तें होती है और आखिर में इन सब से जुड़ा एक अथवा खंड भी होता है जोह तब चलता है जब बाँकी के खंडों के शर्तें असत्य हो।

स := 10 

यदि स > 10 { 
	रछाप("अंक 10 से बड़ा है") 
} या यदि स < 10 { 
	रछाप("अंक 10 से छोटा है") 
} अथवा { 
	रछाप("अंक 10 है") 
}

चक्र

चक्र एक प्रकार का निर्देश है जिसमें एक निश्चित शर्त पूरी होने तक चक्र के खंड के निर्देश बार-बार चलते है।

चक्र अ := 0 ; अ < 10 ; अ++ { 
	रछाप(अ) 
}

मेल

मेल एक प्रकार का निर्देश है जो एक चर के मान को उसकी शाखाओं में परिभाषित मानों से मेल करता है। यदि उस चर का मान किसी शाखा से मेल खता है तब उसे शाखा के खंड के निर्देश चलते है और यदि चर का मेल किसी भी शाखा से मेल नहीं खता तब ‘अथवा’ शाखा के खंड के निर्देश चलते है।

संख्या := 3

मेल संख्या {
	1 { रछाप("संख्या एक है") } 
	2 { रछाप("संख्या दो है") } 
	3 { रछाप("संख्या तीन है") } 
	अथवा { रछाप("संख्या मेल नहीं खाती") } 
}

संकेतशब्द

कोई_भी
को
दावा
बूल
तोड़
अषटक
अचर
जारी
टाल // टालना
अथवा
या यदि
गणन // गणना
असत्य
फलन
के लिये
प16 // परण16
यदि
आयात
में
परण // पूर्णांक
अतरफल // अंतराफलक
है
चक्र
मुख्य
मनच // मानचित्र
मेल
अवयव
परव // परिवर्तनशील
वा
सरव // सार्वजनिक
वापस
आकार // का आकार
अक्षरल // अक्षरावलि
रचन // रचना, संरचना
सत्य
प्रकार
प्रकारका // प्रकार का

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